शहर में धूमधाम से मारबत उत्सव मनाया गया

September 15,2023

(फोटो : चंद्रकांत भि. पडधाने)

नागपुर : उपराजधानी नागपुर में आज लगातार चल रही बारिश में बहुत ही धूमधाम से मारबत उत्सव मनाया गया। बता दें कि, पीली मारबत की स्थापना हर साल गोकुल अष्टमी के होती है। वहीं संपूर्ण विदर्भ से लोग मारबत देवी के दर्शन के लिये आते हैं। पुरानी मान्यता हैं कि यहा पर मांगी जाने वाली हर मन्नत पूरी हो जाती है। इसी तरह काली मारबत और बडग्या भी तैयार किये जाते हैं। यह अनूठा पर्व नागपुर की खास पहचान है। यह त्योहार बुरी ताकतों और बीमारियों को दूर रखने के लिए स्थानीय लोगों द्वारा मनाया जाता है।वहीं आज (शुक्रवार) को इस सालों पुराने मारबत उत्सव को मनाने के लिए हजारों लोग फवारा बारिश में भीगते नागपुर की सड़कों पर उमड़े थे।

काली और पिली मारबत सिर्फ महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर मे ही देखी जाती हैं। नागपुर देश का ऐसा एकमात्र शहर है जहां से सर्वप्रथम मारबत की शुरुआत हुई थी और आज सर्वाधिक मारबत (देवी स्वरुप पुतला) यहीं से जुलूस के साथ निकाले जाते हैं। इसके साथ ही तान्हा पोला के दौरान मारबत और बडग्या (कचरे से बना पुतला) निकालते हैं। इस शहर में ऐसे कई मंडल हैं, जिनके द्वारा बडग्या और मारबत को बनाया जाता है। तान्हा पोला के दौरान मारबत का जुलूस निकालने की प्रथा शहर में कई वर्षों से निरंतर चली आ रही है। 

ऐतिहासिक परंपरा के अनुसार यह मारबत उत्सव नागपुर की खास पहचान है। कहा जाता है कि, मारबत 1885 से बनाई जा रही है। इसके निर्माण की शुरुआत मूर्तिकार गणपतराव शेंडे ने की थी। उनके जाने के बाद उनके बेटे भीमाजी शेंडे ने ये प्रथा जारी रखी  और आज इनकी तीसरी पीढी यानी की गजानन शेंडे इसे निभा रहे है। आज मारबत को 149 वर्ष पूरे हो चुके हैं। ऐसी धारणा है कि मारबत को शहर से बाहर ले जाकर जलाने से शहर की सारी बुराइयां, बीमारियां, कुरीतियां भी उसी के साथ जलकर खत्म हो जाती हैं।