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क्या फिर होगी सर्जिकल स्ट्राइक?
इस बात को लेकर आम सहमति भी बनती दिख रही है कि सटीक हवाई हमला सबसे व्यवहार्य और प्रभावी विकल्प है। आपको बता दें कि सितंबर 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक कर भारत ने दुनिया को चौंका दिया था। ऐसे में अब इस ऐक्शन में आश्चर्य की बात कुछ हद तक खत्म हो गई है।
भारत इस्तेमाल करेगा ग्लाइड बम?
वहीं, पाकिस्तान की हवाई सीमा में घुसे बगैर ही भारत के लड़ाकू विमान (जैसे सुखोई-30MKI, मिराज-2000 और जगुआर) नियंत्रण रेखा के करीब बने आतंकियों के कैंपों और लॉन्च पैड्स पर हमले कर सकते हैं। ये लड़ाकू विमान ग्लाइड बमों और मिसाइलों से लैस होते हैं। दरअसल, ग्लाइड बम की खासियत यह होती है कि इन्हें ठीक हमले वाली जगह के ऊपर छोड़ने की बजाए कुछ दूरी से छोड़ा जा सकता है। एक अधिकारी ने कहा कि इस तरह के हवाई हमले के लिए तैयार होने का समय भी न्यूनतम है।
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... पर एक खतरा भी रहेगा
इतना ही नहीं, पाकिस्तान के आर्मी पोस्टों, आतंकी कैंपों, लॉन्च पैड्स और आसपास के इलाकों में हमले के लिए भारत स्मर्च मल्टिपल-लॉन्च रॉकेट सिस्टम्स (90 किमी) और ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइलों (290 किमी) का भी इस्तेमाल कर सकता है। हालांकि इस तरह की जवाबी कार्रवाई के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होगी क्योंकि इसके बाद प्रतिक्रिया या तनाव गहराने का खतरा रहेगा। पाकिस्तानी सेना के पिछले रिकॉर्ड को देखा जाए तो खतरा बढ़ जाता है।
पीओके में आतंकी होंगे निशाना, नागरिक नहीं
एक अन्य सैन्य अधिकारी ने कहा, 'सीमा पार किए बगैर ऐक्शन के लिए समय, जगह और हथियारों के प्रकार को देखते हुए सेना के कई विकल्प मौजूद हैं। मकसद पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों को टारगेट करना होगा न कि पाकिस्तान की भूमि और उसके नागरिकों को निशाना बनाने के लिए।'
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2016 में सर्जिकल स्ट्राइक के समय नॉर्दर्न कमांड के चीफ रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कहा, 'पुलवामा एक बड़ी ट्रैजडी है। इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ है। हम कब तक उसे हिट करते रहेंगे? हमें गंभीरतापूर्वक कुछ कठोर विकल्पों पर गौर करना होगा।' उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के साथ कूटनीति काम नहीं कर रही है क्योंकि चीन उसे समर्थन दे रहा है। हुड्डा ने कहा कि 3 साल में एक सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान का रवैया बदलने नहीं जा रहा है... भारत को लगातार एक दीर्घकालिक रणनीति पर काम करना होगा जिसमें सैन्य विकल्प शामिल है।
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हालांकि इन विकल्पों का इस्तेमाल करते हुए भारत को यह भी ध्यान में रखना होगा कि तनाव बढ़ सकता है और पाकिस्तान की तरफ से प्रतिक्रिया भी हो सकती है।
1- जमीनी हमला
उरी के बाद सितंबर 2016 में पीओके में आतंकी लॉन्च पैड्स के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की तरह पैरा-स्पेशल फोर्सेज का ऐक्शन। या फिर सेना की टुकड़ी के द्वारा कुछ चोटियों पर कब्जा।
2- कुछ दूरी से हमला
लंबी दूरी के तोपों से पाकिस्तान की सैन्य चौकियों, आतंकी शिविरों, लॉन्च पैड्स को नष्ट करना। इसमें 90 किमी के इलाके में स्मर्च मल्टिपल-लॉन्च रॉकेट सिस्टम्स और 290 किमी तक के लिए ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइलें मददगार बन सकती हैं।
3- सीमित हवाई हमला
मिराज-2000, जगुआर और सुखोई-30MKI जैसे लड़ाकू विमान स्मार्ट ग्लाइड बमों और मिसाइलों से पीओके में बसे आतंकी ठिकानों को तबाह कर सकते हैं।
4- गुप्त ऑपरेशन
खुफिया एजेंटों और प्रॉक्सीज के जरिए बलूचिस्तान, सिंध और दूसरे अशांत इलाकों में हालात अस्थिर किए जा सकते हैं।
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